Saturday, April 11, 2015

चट्टानी जीवन का संगीत



जैज़ पर एक लम्बा आलेख

चट्टानी जीवन का संगीत 

उन्नीसवीं कड़ी

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23. थेलोनिअस मंक 

डिज़ी गिलेस्पी अगर बहिर्मुखी, मौज-मस्ती वाली शख़्सियत थे तो थेलोनिअस मंक (1917-1982)गम्भीर तबियत वाले "विचारक" वादक थे.  
थेलोनिअस मंक  के योगदान का अन्दाज़ा महज़ इसी बात से लगाया जा सकता है कि ड्यूक एलिंग्टन के बाद वे सबसे ज़्यादा रिकौर्ड किये गये जैज़ कम्पोज़र थे, हालांकि जहां ड्यूक एलिंग्टन ने 1000 टुकड़े रचे थे, मंक की रचनाओं की तादाद महज़ 70 थी, जिनमें "राउण्ड मिडनाइट," "ब्लू मंक," "रूबी माई डियर," "इन वौक्ड बड" और "वेल यू नीडण्ट" जैसी रचनाएं शामिल थीं. उनके पियानो वादन की शैली भी अनोखी थी. वे काफ़ी धमक के साथ पियानो बजाते मानो तबला बजा रहे हों और बीच में अचानक अन्तरालों का नाटकीय इस्तेमाल करते.

https://youtu.be/IKayR1oqC7w?list=RDIKayR1oqC7w (राउण्ड मिडनाइट)

सुरों में भी सामंजस्य की बजाय वे विस्वरता से काम लेते और सुरीली ऐंठनों का प्रयोग करते. ज़ाहिर है, उनकी शैली सबको पसन्द नहीं आती थी और जहां उनके मद्दाहों की नज़र में थेलोनिअस मंक एक रचनात्मक पियानोवादक थे जिन्होंने जैज़ को समृद्ध किया था, फ़िलिप लार्किन जैसे कुछ समीक्षकों ने उन्हें "पियानो पर टहलते हाथी" तक कह डाला था. इसके साथ ही वे अपने सरापे की वजह से भी ध्यान खींचते थे -- सूट, हैट और धूप के चश्मों की अनोखी क़िस्मों से भी -- और अपनी कुछ ख़ास अदाओं से भी, मसलन पियानो बजाते-बजाते उठ कर खड़े हो जाना और कुछ पल नाचने के बाद फिर बैठ कर बजाने लगना.

https://youtu.be/_40V2lcxM7k?list=RDIKayR1oqC7w (ब्लू मंक)

वैसे तो थेलोनिअस मंक ने छै साल की उमर से पियानो बजाना शुरू किया था और थोड़ी-बहुत संगीत शिक्षा भी हासिल की थी, लेकिन बहुत हद तक उन्होंने अपने बल पर ही संगीत की तालीम हासिल की थी और किशोरावस्था में एक धर्म-प्रचारक के साथ पियानो वादन करते हुए यात्राएं भी की थीं. फिर लगभग बीस साल की उमर में उन्होंने न्यू यौर्क के मैनहैटन इलाके में मिण्टन्स प्लेहाउस नामक नाइटक्लब में आजीविका के लिए पियानो बजाना शुरू कर दिया. उनकी अनोखी शैली बहुत हद तक इसी नाइटक्लब में पियानो बजाते हुए विकसित हुई थी, जहां काम के बाद एकल वादकों के बीच मुक़ाबले होते थे जिनमें अच्छे-अच्छे फ़नकार हिस्सा लेते थे. जैज़ में जो नया मुहावरा सामने आ रहा था, उसके बहुत-से वादक जैसे डिज़ी गिलेस्पी, चार्ली पार्कर और माइल्स डेविस इस नाइटक्लब में बजाने के लिए आते और यहीं थेलोनिअस मंक का परिचय इन सब से हुआ. यों मंक को   जिस कलाकार ने प्रभावित किया था, वे थे ड्यूक एलिंग्टन और जेम्स जौनसन.
एक बार थेलोनिअस मंक ने अपनी राह बना ली, उसके बाद उन्हें अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने में देर नहीं लगी. 1950 तक आते-आते उनका शुमार नये फ़नकारों की पहली पांत में होने लगा था. लेकिन तभी एक ऐसा हादसा हुआ जिस ने थेलोनिअस मंक की ज़िन्दगी पर गहरा असर डाला. अगस्त 1951 में न्यू यौर्क शहर की पुलिस ने सड़क के किनारे खड़ी एक कार की तलाशी ली जिसमें मंक और उनके मित्र बड पावेल बैठे हुए थे. तलाशी में पुलिस को कार में नशीले पदार्थ मिले जो बड पावेल के थे. मंक ने पावेल के खिलाफ़ गवाही देने से इनकार कर लिया और पुलिस ने मंक को सबक़ सिखाने के लिए कैबरे में बजाने का उनका लाइसेन्स ज़ब्त कर लिया. ज़ाहिर है, अब वे ऐसे किसी क्लब में नहीं बजा सकते थे जहां शराब मिलती थी. इससे उनके प्रदर्शनों पर एकबारगी पाबन्दी लग गयी और अगले पांच-छै वर्षों तक मंक ने अपना समय रागों की रचना करने, उन्हें रिकौर्ड कराने और शहर के बाहर के थिएटरों और संगीत सभाओं में अपने हुनर का जलवा दिखाने में बिताये. इसी बीच वे यूरोप के पहले दौरे पर भी गये. फिर जब 1956 में उन पर लगी पाबन्दी हटी और उनका लाइसेन्स वापस मिला तो एक बार फिर उन्होंने न्यू यौर्क में बड़े-बड़े क्लबों में बजाना और बड़ी-बड़ी कम्पनियों के साथ अपना संगीत रिकौर्ड कराना शुरू किया. जून 1957 में अपनी पत्नी नेली स्मिथ के नाम पर रची और रिकौर्ड करायी गयी धुन "नेली के साथ गोधूलि" ने सुनने वालों और समीक्षकों के सामने थेलोनिअस मंक की रागदारी के कौशल को उजागर कर दिया.  "नेली के साथ गोधूलि" शुद्ध रूप से मंक की अपनी रचना थी और इसकी अदायगी में वे पहले से तय किये सुरों और लय-ताल से ज़रा भी नहीं हटे थे, कोई आशु वादन की कोशिश नहीं थी. उन्होंने उसकी रचना बड़े ध्यान और मेहनत से की थी.

https://youtu.be/QIVoOwOMq2c (नेली के साथ गोधूलि)

अगले दस साल थेलोनिअस मंक के उर्वर वर्ष थे और उन्होंने पियानो पर अनेक जाने-माने वादकों के साथ संगत की -- माइल्स डेविस, जौन कोल्ट्रेन, डिज़ी गिलेस्पी और आर्ट ब्लेकी. लेकिन इसी बीच मंक का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा था. वे रचनात्मक सक्रियता और अवसाद के दो छोरों के बीच झूलने लगे थे. नतीजा यह हुआ कि उनकी रचनात्मकता धीमी पड़ गयी. 1970 तक आते-आते थेलोनिअस मंक जैज़ के परिदृश्य से लगभग ग़ायब हो चुके थे. मण्डली के नेता के रूप में उनकी आखिरी बड़ी रिकौर्डिंग का क़िस्सा बयान करते हुए उनके साथ बीसेक साल से संगत करने वाले बेस-वादक ऐल मैक्गिबन ने बताया कि उस रिकौर्डिंग के बाद जब मंक डिज़ी गिलेस्पी, काई विण्डिंग, सनी स्टिट और आर्ट ब्लेकी जैसे जैज़ के महारथियों के साथ पूरी दुनिया के दौरे पर निकले तो उस समूचे दौरे में उन्होंने "बस दो शब्द, सचमुच दो शब्द" कहे. न तो उन्होंने किसी को "गुड मौर्निंग" कही, न "गुड नाइट" और न "समय क्या है?" जबकि एक अन्य जीवनी में उनके जीवनीकार ने कहा कि "मंक माइल्स डेविस के बिलकुल विपरीत हैं, वे सारा समय संगीत ही के बारे में बात करते रहते हैं और कई बार कुछ समझाने के लिए अगर ज़रूरी हो तो घण्टों खर्च कर सकते हैं."

https://youtu.be/zriS77PCaTk?list=RDIKayR1oqC7w
थेलोनिअस मंक के आखिरी छै साल अपनी संरक्षिका और मित्र बैरोनेस पैनोनिका डि कोएनिग्सवार्टर की देख-रेख में गुज़रे और इस अर्से में उम्होंने एक बार भी पियानो नहीं बजाया हालांकि उनके कमरे में हमेशा पियानो रखा रहता था और उन्होंने बहुत कम मुलाकातियों से भी बात की. 1982 में दिमाग़ की नस फट जाने से उनका निधन हो गया. बाद में चल कर थेलोनिअस मंक को जैज़ में उनके योगदान के लिए मरणोपरान्त ग्रैमी सम्मान और पुलिट्ज़र पुरस्कार भी दिया गया और उनके नाम पर एक संस्थान भी स्थापित हुआ. जैसे-जैसे वक़्त गुज़रा, अनगिनत संगीतकारों ने उनकी धुने और रचे गये राग बजाये और उनके नाम अपनी रचनाएं समर्पित करके उनके अप्रतिम योगदान को स्वीकार किया.
(जारी) 



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